अभी हाल में अमेरिका से एक रिपोर्ट आई है की भारत में अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसक और घृणा भारतीय समाज में इधर एक साल से ज्यादा ही बढ़ गयी है . इसे देश के बहुधर्मी संस्कृति के खिलाफ बताया गया है.
मुझे तो ये बहुत ही हास्यास्पद और अमेरका की भारत के प्रति चिढ से ज्यादा कुछ नहीं दिखाई पड रहा है. मुझे ही क्यों ज्यादातर भारतियों को ये अमेरिकी दुष्टता ही नज़र आती है. असल में अमेरिकी प्रशासन ये सब अपनी असफलता को छिपाने के लिए कर रहा है.
जैसा की हम सभी जानते हैं की अमेरिका में इधर अल्पसंख्यकों हिन्दू और सिखों तथा अश्वेतों पर हमले बढे हैं और ज्यादातर हमलों में वहां के प्रशासन और पुलिस का हाथ है . सबसे बड़ी बात है की ऐसे अपराधी पुलिस वाले को वहां का प्रशासन बचाता हुआ भी पाया गया. मगर इस तरह की घटनाओं पर अमेरिका बड़ी सावधानी ससे चुप्पी साध जाता है. उसके इस विचित्र स्थिति में उसका बचावव करते हुआ आप बी बी सी और भी ओ ए को अक्सर देख सकते हैं. ये न्यूज़ चैनेल हमेशा इस तरह की स्थिति में अमेरिका के बचाव में मनगढ़ंत और मूर्खतापूर्ण तर्क पेश करते रहते हैं.
जिस अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर धार्मिक असहनशीलता का आरोप लगाया है वो खुद आरोपी है. खुद अमेरिकी प्रशाशन सांप्रदायिक चिढ और अश्वेतों के प्रति चिढ का अड्डा बना हुआ है. आज यदि मार्टीन लूथर या अब्राहम लिंकन होते तो अमेरिका की इस स्थिति पर विलाप के अलावा कुछ नहीं कर रहे होते. आज अमेरिकी प्रशासन को यदि जरा भी शर्म है तो मेरे उठाये प्रश्नों का उतार दे फिर किसी देश के तरफ ऊँगली उठाये. कहा गया है जिसके घर शीशे के होते हैं उसे दूसरों के घर में पत्थर नहीं फेंकना चाहिए. आज यही हाल अमेरिका का है जो खुद असहनशील समाज को बढ़ावा दे रहा है वो क्या किसी दुसरे देश को शिक्षा देने का नैतिक अधिकार रखता है.
साथियो मुझे आप लोगों से उम्मीद है की मेरे इस पोस्ट पर आप भी अपने विचार देंगें ताकि सही निर्णय पर ये बसह पहुँच सके और दुनिया के हर कोने से असहनशीलता का खात्मा किया जा सके.
मुझे तो ये बहुत ही हास्यास्पद और अमेरका की भारत के प्रति चिढ से ज्यादा कुछ नहीं दिखाई पड रहा है. मुझे ही क्यों ज्यादातर भारतियों को ये अमेरिकी दुष्टता ही नज़र आती है. असल में अमेरिकी प्रशासन ये सब अपनी असफलता को छिपाने के लिए कर रहा है.
जैसा की हम सभी जानते हैं की अमेरिका में इधर अल्पसंख्यकों हिन्दू और सिखों तथा अश्वेतों पर हमले बढे हैं और ज्यादातर हमलों में वहां के प्रशासन और पुलिस का हाथ है . सबसे बड़ी बात है की ऐसे अपराधी पुलिस वाले को वहां का प्रशासन बचाता हुआ भी पाया गया. मगर इस तरह की घटनाओं पर अमेरिका बड़ी सावधानी ससे चुप्पी साध जाता है. उसके इस विचित्र स्थिति में उसका बचावव करते हुआ आप बी बी सी और भी ओ ए को अक्सर देख सकते हैं. ये न्यूज़ चैनेल हमेशा इस तरह की स्थिति में अमेरिका के बचाव में मनगढ़ंत और मूर्खतापूर्ण तर्क पेश करते रहते हैं.
जिस अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर धार्मिक असहनशीलता का आरोप लगाया है वो खुद आरोपी है. खुद अमेरिकी प्रशाशन सांप्रदायिक चिढ और अश्वेतों के प्रति चिढ का अड्डा बना हुआ है. आज यदि मार्टीन लूथर या अब्राहम लिंकन होते तो अमेरिका की इस स्थिति पर विलाप के अलावा कुछ नहीं कर रहे होते. आज अमेरिकी प्रशासन को यदि जरा भी शर्म है तो मेरे उठाये प्रश्नों का उतार दे फिर किसी देश के तरफ ऊँगली उठाये. कहा गया है जिसके घर शीशे के होते हैं उसे दूसरों के घर में पत्थर नहीं फेंकना चाहिए. आज यही हाल अमेरिका का है जो खुद असहनशील समाज को बढ़ावा दे रहा है वो क्या किसी दुसरे देश को शिक्षा देने का नैतिक अधिकार रखता है.
साथियो मुझे आप लोगों से उम्मीद है की मेरे इस पोस्ट पर आप भी अपने विचार देंगें ताकि सही निर्णय पर ये बसह पहुँच सके और दुनिया के हर कोने से असहनशीलता का खात्मा किया जा सके.